भारतीय संविधान विश्व सभी संविधानों में बेजोड़ तथा अनूठा है। यह ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर है किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, किन्तु भारत में संसद नहीं अपितु संविधान सर्वोच्च है। इसका निर्माण जिन उद्देश्यों से किया गया है, उनका वर्णन संविधान की प्रस्तावना में किया गया है।
इस प्रकार इस संविधान सभा को एक सर्वप्रमुख संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रीय गणराज्य घोषित करता है। यह न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व के लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित है। संविधान की प्रस्तावना का गहनतापूर्वक अध्ययन करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि इसका प्रत्येक शब्द अत्यधिक चिन्तन, मनन के बाद इसमें जोड़ा गया है-
- इसे सर्वप्रभुत्व संपन्न राष्ट्र कहा गया है, जिसमें प्रभुत्व जनता में निहित है। इसका अभिप्राय यह है कि यह किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त है; यह अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में स्वेच्छानुसार कार्य करने में पूर्णतः स्वतंत्र है।
- भारत समाजवादी राष्ट्र है। प्रस्तावना में ‘समाजवादी शब्द’ 42 वें संविधान संशोधन अनुसार जोड़ा गया है। इसका तात्पर्य है कि ‘समानता’ का आदर्श केवल राजनैतिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, अपितु इसे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी लागू किया जाता है।
- प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को 42 वें संविधान संशोधन के अनुसार जोड़ा गया है। इसका अभिप्राय है कि भारत का कोई राज्य-धर्म नहीं है। भारतीय नागरिक स्वेच्छानुसार किसी भी धर्म को मान सकते हैं।
- ‘लोकतन्त्रीय’ शब्द का अर्थ है कि राष्ट्र की समस्त सत्ता का स्त्रोत जनता हैं। जनता ही शासक वर्ग का चुनाव करती है और वे जनता के प्रति ही उत्तरदायी होते हैं।
- भारत एक गणतंत्र है। देश की कार्यकारिणी के प्रधान राष्ट्रपति का पद पैतृक अथवा अनुवांशिक नहीं है। उसका निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से जनता के प्रतिनिधियों द्वारा पाँच वर्ष के लिए किया जाता है।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ निम्नलिखित है –
- यह लिखित निर्मित एवं विश्व का विशालतम् संविधान है।
- संविधान की प्रस्तावना में प्रभुत्व संपन्न, लोकतंत्रात्मक, पन्थ निरपेक्ष एवं समाजवादी गणराज्य को क बात कही गई है।
- संविधान द्वारा भारत में संसदीय शासन प्रणाली की स्थापना की गई है।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का समावेश किया है।
- नागरिकों के मूल अधिकार एवं कर्तव्यों का समावेश किया गया है। भारतीय संविधान नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान करता है तथा 1976 में संविधान में 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए है।
- भारतीय संविधान लचीलेपन एवं कठोरता का अद्भुत मिश्रण है।
- भारतीय संविधान में वयस्क मताधिकार का प्रावधान किया गया है।।
- यह संविधान इकहरी नागरिकता प्रदान करता है।
- संविधान द्वारा स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की गई है।
- भारत के एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की बात की गई हैं।
भारतीय संविधान में समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन करने का प्रावधान है। वर्तमान में भारतीय संविधान में 444 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ तथा 22 भाग है। भारत के संविधान का स्त्रोत भारतीय जनता है।