मूल अधिकार, संविधान द्वारा प्रदत्त ऐसे अधिकार है जो व्यक्ति के बौद्धिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. इन अधिकारों पर राज्य द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. इन्हें न्यायालय द्वारा प्रवर्तित कराया जा सकता है. भारत में इसे अमेरिकी संविधान से अपनाया गया. मूल अधिकार संविधान का मूलभूत ढांचा माना जाता है. भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को निम्न 6 मूल अधिकार प्रदान किये गये है –
मूल अधिकार (मौलिक अधिकारों) से संबंधित अनुच्छेद | Article Related To Fundamental Rights
अनुच्छेद 12 : किसी भी व्यक्ति को एकान्तता, कुटुम्ब, घर या पत्र-व्यवहार के साथ मनमाना हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और उसके सम्मान और ख्याति पर प्रहार नहीं किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे हस्तक्षेप या प्रहार के विरुद्ध विधि के संरक्षण का अधिकार है।
अनुच्छेद 13 : (1) प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक राज्य की सीमाओं के भीतर संचरण और निवास की स्वतंत्रता का अधिकार है।
(2) प्रत्येक व्यक्ति को, अपने देश को या किसी भी देश को छोड़ने और अपने देश में वापस आने का अधिकार है।
मूल अधिकारों की सूची | List Of Fundamental Rights
➲ समता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 ) | Right To Equality
अनुच्छेद 14 : विधि के समक्ष समानता एवं विधियों के समान संरक्षण का अधिकार –
- विधि के समक्ष समता (ब्रिटेन से) प्रत्येक व्यक्ति समान रूप से विधि के अधीन होग।
- विधि का समान संरक्षण ( अमेरिका से) – प्रत्येक व्यक्ति को समान विधिक संरक्षण हासिल होगा।
अनुच्छेद 15 : धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध।
- 16 (3) – सरकार किसी पद पर नियोजन को केवल राज्य के निवासियों के लिए आरक्षित कर सकती है।
- 16 (4) – राज्य पिछड़े हुए नागरिकों (सामाजिक शैक्षणिक) के किसी वर्ग के लिए नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए उपबंध कर सकता है।
- यह अधिकार न केवल राज्य वरन् निजी व्यक्तियों के विरुद्ध भी प्राप्त है।
- इसी क्रम में अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955, सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976 लागू।
- राज्य किसी भी व्यक्ति को चाहें वह देश का नागरिक हो या विदेशी उपाधियाँ प्रदान करने से मना करता है, किंतु सेना या विघा संबंधी उपाधि प्रदान करने की अनुमति देता है।
अनुच्छेद 16 : शासकीय सेवाओं में अवसर की समानता – राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी, धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर विभेद नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 17 : अस्पृश्यता का अंत –
अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत –
➲ स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 तक) | Right To Freedom
अनुच्छेद 19 : वाक् – स्वातंत्रय आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण
- 19(1) क – वाक्, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता- प्रेस को स्वतंत्रता, जानने का अधिकार
- 19(1) ख – शांतिपूर्वक एवं निरायुध सम्मेलन की स्वतंत्रता
- 19(1) ग – संघ बनाने की स्वतंत्रता
- 19(1) छ – वृत्ति, व्यवसाय, वाणिज्य, व्यापार की स्वतंत्रता
स्वतंत्रता के अधिकारों पर राज्य युक्तियुक्त निर्बधन लगा सकती है –
अनुच्छेद 20 : दोष सिद्धि के सन्दर्भ में संरक्षण –
- किसी व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध यदि वर्तमान विधि के अनुसार अपराध नहीं है, तो उसे दोषी नहीं माना जाएगा, वह अपराध के लिये वर्तमान प्रचलित विधि के अधीन शास्ति का हकदार होगा।
- दोहरे दण्डादेश का निषेध।
- स्वयं के विरूद्ध गवाही देने हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा।
- किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
- 21(क) – शिक्षा को मूल अधिकार – 86वें संविधान संशोधन 2002 द्वारा शामिल, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार।
- व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले वारंट (कारण) बताना होता है।
- 24 घंटे के अंदर उसे न्यायलय मे सह- शरीर प्रस्तुत किया जाता है। इस 24 घंटे मे यातायात का समय नहीं गिना जाता है।
- गिरफ्तार व्यक्ति को अपने पसंद का वकील रखने का अधिकार है।
अनुच्छेद 21 : प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार –
अनुच्छेद 22 : बंदीकरण एवं निरोध के प्रति संरक्षण –
➲ शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनु. 23-24 ) | Right Against Exploitation
अनुच्छेद 23 : मानव दुर्व्यापार एव बेगार प्रथा का अंत।
अनुच्छेद 24 : 14 वर्ष से कम उम्र के बालकों को नौकरी देने पर प्रतिबंध।
➲ धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28 तक ) | Right To Religious Freedom
अनुच्छेद 25 : अंतःकरण एवं धर्म को मानने एवं प्रचार की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 26 : धार्मिक कार्यों के प्रबंधन की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 27 :विशेष धर्म हेतु कर देने से मुक्ति – किसी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म वा सम्प्रदाय की उन्नति के लिए कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 28 : राज्य पोषित शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या उपासना का प्रतिषेध
➲ शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30 तक ) | Right To Education And Culture
अनुच्छेद 29 : अत्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण – विशेष भाषा, लिपि, संस्कृति को बनाये रखने का अधिकार
अनुच्छेद 30 :अल्पसंख्यक वर्ग को शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार
अनुच्छेद 31 : सम्पत्ति का अधिकार – 44 संविधान संशोधन 1978 के द्वारा अनुच्छेद 31 विलोपित कर दिया गया और सम्पत्ति के मूल अधिकार को समाप्त कर इसे 300(क) में रख दिया गया है. यह मूल अधिकार नहीं रहा पर संवैधानिक अधिकार है
➲ संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद – 32 ) | Right To Constitutional Remedies
डा. भीमराव अम्बेडकर ” यदि मुझसे पूछा जाए की संविधान में कौन सा विशेष अनुच्छेद सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, जिसके बिना यह संविधान शून्य हो जाएगा तो मैं इसके सिवाय किसी दूसरे अनुच्छेद का नाम नहीं लूंगा…यह संविधान की आत्मा है।”
इस अनुच्छेद के तहत न्यायालय निम्न पांच रिट जारी कर सकता है –
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण | (Habeas Corpus )
“सशरीर उपस्थित करो व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के लिए Habeas Corpus या बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की सकती है. यह रिट एक आदेश के रूप में है, जिसमें किसी बंदी बनाए गये व्यक्ति को बंदी बनाने के 24 घंटे के भीतर गिरफ्तारी की वैधता की प्रमाणित करने के लिए न्यायालय के समक्ष उपस्थित करने का आदेश होता है. यह किसी प्राइवेट व्यक्ति या अधिकारी को जारी की जा सकती है.
2. परमादेश | (Mandamus )
यह प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकारियों को जारी किया जाता है ताकि वह लोक कर्तव्य, जिससे उसने इन्कार किया हो. का पालन करे. परमादेश न्यायपालिका की ऐसी याचिका है जिसमें कार्यपालिका से कहा जाता है कि वह, वह कार्य करे जो उसे प्रदत्त शक्तियों के अन्तर्गत करना चाहिए था. यह निजी व्यक्ति या संस्थाओं के विरुद्ध जारी नहीं किया जाता।
3. प्रतिषेध | (Prohibition )
‘मना करना’, यह एक न्यायिक रिट है, उच्चतम या उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालयों को जारी, इसके द्वारा उन्हें अधिकारिता को सीमा का अतिक्रमण करने से रोका जाता है।
4. उत्प्रेषण | (Certiorari )
पूर्णत: सूचित करो, यह न्यायिक रिट है निम्न न्यायालयों में चल रही प्रक्रिया को रोक कर अपने पास मंगाने हेतु जारी सर्वोच्च/उच्च न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों को जारी किया जाता है।
5. अधिकार पृच्छा | ( Quo-waranto )
किस अधिकार से लोक पद पर किसी व्यक्ति के दावे की वैधता जांच करने बाबत् जारी।
अनुच्छेद 33 : राष्ट्रीय सुरक्षा के हित मे संसंद सेना मिडिया तथा गुप्तचर के मूल अधिकार को सीमित कर सकती है।
अनुच्छेद 34 : भारत के किसी भी क्षेत्र मे सेना का कानून (Martial Law) लागू किया जा सकता है। सेना के न्यायालय को Court Marshal कहते हैं। सबसे कठोर Martial Law AFSPA है [Armed Forces Special Powers Act)
अनुच्छेद 35 : भाग – 3 में दिए गए मूल अधिकार के लागू होने के विधि कि चर्चा।
- मूल अधिकार को 7 श्रेणियों मे बांटा गया था। किन्तु वर्तमान में 6 श्रेणीया है –
- समानता का अधिकार (अनुछेद 14 से 18 तक )
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुछेद 19 से 22 तक )
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुछेद 23 से24 तक )
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुछेद 25 से 28 तक )
- शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार (अनुछेद 29 से 30 तक )
- सम्पति का अधिकार (अनुछेद 31) पहले ये मूल अधिकार था किन्तु 44 वा संविधान संसोधन द्वारा इसे क़ानूनी अधिकार बना दिया गया, और अनुछेद 300(क) में जोड़ दिया गया है।
- संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुछेद 32 )
मूल अधिकार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ;
Q 1. किस अनुच्छेद को डॉ भीम राव अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहा है?
उत्तर : संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32 ) को डॉ भीम राव अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहा है।
Q 2. ऐसे कौन से अनुच्छेद हैं जो राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित नहीं होते है?
उत्तर : एक रास्ट्रीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 20 (दोष सिद्धि के सन्दर्भ में संरक्षण) अनुच्छेद 21 (प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अनिलंबित नहीं किया जा सकता।
Q 3. मूल अधिकार को स्थाई रूप से प्रतिबंधित कौन करता है ?
उत्तर : संसद।
Q 4. मूल अधिकार को कुछ समय के लिए निलंबित कौन करता है?
उत्तर : राष्ट्रपति।
Q 5. मूल अधिकार के रक्षक कौन है ?
उत्तर : उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) एवम् सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) के तहत मूल अधिकार के रक्षक हैं ।
Q 6. कौन से मूल अधिकार केवल भारतियों को मिलता है ?
उत्तर : अनुच्छेद 15,16,19,29 एवम् 30 केवल भारतियों को मिलता है।
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