1857 के विद्रोह की प्रमुख घटनाएँ | Revolt Of 1857 In Hindi

1857 के विद्रोह की प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार थी –

1. बैरकपुर छावनी की प्रमुख घटना – बंगाल के बैरकपुर में 23 जनवरी 1857 ई. को सभी सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूस चलाने से मना कर दिया। मंगल पांडे नामक एक ब्राह्मण सिपाही ने सार्जेंट ह्यूसन और लेफ्टिनेंट बाग को गोली से उड़ा दिया फलस्वरूप उन पर मुकदमा चला और 8 अप्रैल 1857 ई. को उन्हें फाँसी दे दी गयी। वह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का पहला शहीद था।

 2. मेरठ का विद्रोह  – 24 अप्रैल मेरठ में भी तीसरी घुड़सवार सेना द्वारा चर्बी वाले कारतूसों के प्रयोग से मना करने पर उन्हें जेल भेज दिया गया तो अन्य सैनिकों विद्रोह कर दिया और स्थानीय जेल को तोड़कर उन्हें रिहा करा लिया। फिरंगियों का नगर में रहना मुश्किल कर दिया उन्होनें ‘हर हर महादेव’ और मारों फिरंगी का नारा दिया। 

3. विद्रोहियों का दिल्ली पर अधिकार – मेरठ के सैनिक बहुत बड़ी संख्या में उत्साह के साथ दिल्ली पहुँच गए। सौभाग्य से उस समय वहाँ पर यूरोपियन सीमाएँ नहीं थीं अतः उन्हें दिल्ली पर अधिकार करने में विशेष विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने रुकारी भवनों पर मुगल ध्वज फहराया तथा मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को अपना नेता घोषित कर दिया।

4. कानपुर तथा लखनऊ की घटनाएँ- कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब ने किया उन्होनें अंग्रेज सेनापति को परास्त कर दुर्ग पर अधिकार कर लिया किंतु हैवलॉक, कैम्पबेल आदि ने विद्रोहियों की शक्ति को कुचलकर पुन: दुर्ग पर अधिकार कर लिया लखनऊ में वाजिद अली शाह और बेगम हजरत महल ने विद्रोहियों को संगठित कर विद्रोह की कमान सँभाली। अवध की जनता और अवध के सिपाहियों ने बड़े उत्साह के साथ इसमें भाग लिया। 

5. मध्य भारत ” झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ” का बलिदान — झाँसी में 7 जून को रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में क्रांति । रानी ने अदम्य साहस, वीरता और कुशलता से झाँसी पर अपना स्वतंत्र शासन स्थापित कर लिया। तात्या टोपे लक्ष्मीबाई से आ मिला। 1858 में ग्वालियर पर भी उन्होंने अधिकार कर लिया किन्तु अंत में वह अंग्रेजों के साथ संघर्ष करती हुई भारत भूमि पर शहीद हो गयी तथा तात्या टोपे को 18 अप्रैल 1859 को फाँसी दे दी गई। 

6. बिहार में विद्रोह – जगदीशपुर के 80 वर्षीय ठाकुर कुँवर सिंह ने बिहार में विद्रोह का नेतृत्व किया तथा अंग्रेजों से लड़ने के लिए गुरिल्ला पद्धति को अपनाया जिसमें उसके भाई अमर सिंह और मित्र निशान सिंह ने उसका सहयोग दिया। उसने ‘मिलमैन और डेम्ज’ अंग्रेज सेनापतियों को पराजित कर दिया किंतु अप्रैल 1858 में कुँवर सिंह की मृत्यु के पश्चात् अंग्रेजो ने अमर सिंह को पराजित कर जगदीशपुर को अपने अधिकार में ले लिया और विद्रोह को दबा दिया। इस प्रकार 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारत के अलग-अलग भागों में विद्रोह तो हुए किंतु दुर्भाग्यवश यह क्रांति सफल नहीं हो पायी। इसे अंग्रेजी शासन द्वारा पूरी तरह कुचल दिया गया।

Leave a Comment

edusradio.in

Welcome to EdusRadio, your ultimate destination for all things related to jobs, results, admit cards, answer keys, syllabus, and both government and private job opportunities.

Dive into a world of valuable information, thoughtfully curated in Hindi by EdusRadio.in, ensuring you're always in the loop.