प्रवास क्या है? (What is migration)
किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को अपने निवास स्थान से दूसरे स्थान पर गमन जनसंख्या का प्रवास मा स्थानान्तरण कहलाता है। चाहे वह लघु समय के लिए हो दीर्घकाल के लिए हो या स्थायी हो। अपनी इच्छा से हो या बलात हो। भौतिक कारण से हो या सामाजिक सांस्कृतिक कारण से हो। स्थानीय हो या अन्तर्राष्ट्रीय हो।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार “प्रवसत एक प्रकार को भौगोलिक प्रवासित अथवा स्थानिक प्रवासित है जो एक भौगोलिक इकाई और दूसरी भौगोलिक इकाई के बीच देखने को मिलती है जिनमें रहने का मूल स्थान अथवा पहुंचने का स्थान दोनों भिन्न होते हैं।”
ई. एस. ली. के अनुसार, “स्थानान्तरण अस्थायी या अर्द्ध स्थायी आवास परिवर्तन है। इसमें दूरी का अधिक महत्व नहीं है।”
उत्प्रवास एवं आप्रवास (Emigration and Immigration) जब कोई व्यक्ति अपने प्रदेश या देश से जाता है तो यह उत्प्रवास कहलाता है और व्यक्ति प्रवासी कहलाता है, किन्तु व्यक्ति आकर कहीं बसते हैं तो इसे आप्रवास कहा जाता है और ऐसे व्यक्ति आप्रवासी कहलाते हैं।
प्रवास के प्रकार (Types Of Migration)
प्रवास या स्थानान्तरण के प्रकार (Type of Migration) जनसंख्या प्रवास को कई आधारों वर्गीकृत किया जाता है। कुछ प्रमुख आधारों पर वर्गीकरण प्रस्तुत है-
1. स्थान के आधार पर – कोई व्यक्ति स्थानांतरण के दौरान कहाँ जाता है, इसके आधार पर स्थानान्तरण चार प्रकार के होते हैं-
- स्थानीय प्रवास — जब कोई व्यक्ति एक गाँव से दूसरे गाँव या एक जिले से दूसरे जिले तक प्रवास करता है तो यह स्थानीय प्रवास कहलाता है। गाँवों से पास के नगरों में काम हेतु जाना इसी प्रकार का प्रवास है।
- अन्तर्राज्यीय प्रवास – जब कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह एक राज्य से दूसरे राज्य को प्रवास करता है तब यह अन्तर्राज्यीय प्रवास कहलाता है। राजस्थान से मारवाड़ियों का व्यापार के लिए महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा पं. बंगाल जाना ऐसा ही प्रवास है।
- अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास – इसके अन्तर्गत प्रवास एक देश से दूसरे देश के मध्य होता है। वर्तमान समय में शासनाध्यक्षों के विदेशी दौरे इसी श्रेणी में आते हैं।
- अन्तर्महाद्वीपीय प्रवास – प्रागऐतिहासिक काल में एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मानव प्रजातियों का प्रवास तथा मध्यकाल में यूरोप से अमेरिकी महाद्वीपों में अंग्रेजों का प्रवास इसी प्रकार के हैं।
2. काल (समय) के आधार पर – समय के आधार पर प्रवास निम्न प्रकार के होते हैं-
- दैनिक प्रवास — महानगरों के आस-पास के लोग दिन में नगर में कार्य करने जाते हैं तथा शाम वापस आ जाते हैं। इस तरह के प्रवास दैनिक प्रवास कहलाते हैं। तक अपने घर
- मौसमी प्रवास – हिमालय पर ऊँचाई वाले भागों में रहने वाले पशुचारक शीत में अपनी भेड़-बकरियों के साथ घाटियों में आ जाते हैं, पुनः गर्मी शुद्ध होने पर ऊपर चले जाते हैं।
- स्थायी प्रवास — अमेरिकी महाद्वीपों की खोज होने के बाद स्पेन और पुर्तगाल से असंख्य लोग दक्षिण अमेरिका तथा ब्रिटेन, जर्मनी एवं फ्रांस से उत्तरी अमेरिका में जाकर बस गये।
3. संख्या के आधार पर – प्रवासियों की संख्या के आधार पर प्रवास निम्न प्रकार का होता है-
- एकल प्रवास – जब कोई व्यक्ति अपने कार्य, ऑफिस या रिश्तेदारी में जाता है तो इसे एकल प्रवास कहा जाता है।
- अल्पसंख्यक प्रवास — जब विभिन्न मेलों, त्योहारों एवं उत्सवों में भाग लेने लोग जाते हैं तो यह अल्पसंख्याक प्रवास कहलाता है।
- वृहद संख्यक प्रवास – अठारहवीं शताब्दी में यूरोप से अमेरिका को होने वाला प्रवास तथा 1947 में भारत-पाक विभाजन के समय होने वाला प्रवास बहुसंख्यक प्रवास का उदाहरण है।
प्रवास के कारण (Causes of Migration)
समाजशास्त्रीयों के अनुसार प्रवसन के लिए दो मुख्य घटक उत्तरदायी हैं-
- धक्का देने वाले या प्रतिकर्ष या प्रतिकुल घटक (Push factors) और
- आकर्षक या अपकर्ष या अनुकूल घटक (Pull Factors)
प्रतिकूल घटकों के अन्तर्गत निम्नलिखित तत्व सम्मिलित किये जाते हैं—
मूल स्थान में जनसंख्या वृद्धि की दर ऊँची होने से भूमि पर उसका बढ़ता हुआ भार
- जनसंख्या की तुलना में आर्थिक संसाधनों का अभाव,
- दैविक आपदाएँ – अनावृष्टि, दुर्भिक्ष, अतिवृष्टि एवं बाहें, भूकम्प और ज्वालामुखी के उद्गार,
- समाज के विभिन्न वर्गों में सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक कारणों से होने वाले संघर्ष,
- एक वर्ग का दूसरे वर्ग के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार,
- व्यक्तिगत विकास, रोजगार, विवाह आदि के लिए समुदाय विशेष में पर्याप्त अवसरों का अभाव।
- वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक ढाँचे के प्रति असन्तुष्टि ।
निम्नलिखित अनुकूल घटकों के अन्तर्गत एक व्यक्ति अपने जीवन को अधिक सुखी बनाने के लिए अन्यत्र बसने के लिये आकर्षित होता है-
- व्यक्ति विशेष के लिए लाभदायक रोजगार के श्रेष्ठ अवसरों की उपलब्धता,
- अधिक आय उपार्जन के श्रेष्ठ अवसरों की प्राप्ति,
- इच्छित अनुकूलन वातावरण एवं श्रेष्ठ निवास की दशाएँ – जलवायु, आवास व्यवस्था आदि, –
- पराश्रयता जैसे माता-पिता के देशान्तर करने के कारण जाना अथवा पत्नी का पति के साथ जाना।
- आमोद-प्रमोद के साधनों की सुविधा ।
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