पूर्ण प्रतियोगिता और अपूर्ण प्रतियोगिता में अंतर क्या है? – EdusRadio

पूर्ण प्रतियोगिता और अपूर्ण प्रतियोगिता में अंतर जानने से पहले इसका परिभाषा जानना जरुरी है जिससे इसके बिच के अंतर को सरलता से समझा जा सके!

पूर्ण प्रतियोगिता किसे कहते हैं?

पूर्ण प्रतियोगिता, बाजार के उस रूप को कहते हैं, जिसमें किसी समरूप वस्तु के बहुत से क्रेता तथा विक्रेता होते हैं तथा वस्तु की कीमत उद्योग द्वारा निर्धारित होती है। सभी फर्में इसी कीमत पर वस्तु को बेचती हैं। बाजार में वस्तु की एक कीमत होती है।

बोल्डिंग के अनुसार, “पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह स्थिति है, जिसमें प्रचुर संख्या में क्रेता एवं विक्रेता बिल्कुल एक ही प्रकार की वस्तु के क्रय-विक्रय में लगे होते हैं तथा जो एक दूसरे के अत्यधिक निकट सम्पर्क में आकर आपस में स्वतन्त्रतापूर्वक वस्तु का क्रय करते हैं।

अपूर्ण प्रतियोगिता किसे कहते हैं?

अपूर्ण प्रतियोगिता तब होती है, जब उसमें पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएँ नहीं होती हैं। इसके अन्तर्गत उत्पादित वस्तुओं की माँग की लोच पूर्णतया लोचदार नहीं होती है।

प्रो. बेन्हम के अनुसार, किसी वस्तु का बाजार उस समय अपूर्ण होगा, जबकि कुछ क्रेताओं अथवा विक्रेताओं अथवा दोनों ही को दूसरे विक्रेताओं अथवा क्रेताओं द्वारा माँगी गई अथवा दी गई कीमतों का ज्ञान नहीं होता।

पूर्ण प्रतियोगिता और अपूर्ण प्रतियोगिता में अंतर

पूर्ण प्रतियोगिता और अपूर्ण प्रतियोगिता में अंतर निम्नलिखित है –

क्र .पूर्ण प्रतियोगिताअपूर्ण प्रतियोगिता
1.पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं एवं विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है।अपूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं एवं विक्रेताओं की संख्या कम होती है ।
2.पूर्ण प्रतियोगिता में एक समान वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है।अपूर्ण प्रतियोगिता में अनेक प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है
3.पूर्ण प्रतियोगिता में फर्में उद्योग में प्रवेश एवं बहिर्गमन करने में स्वतन्त्र होती हैं ।अपूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों का प्रवेश एवं बहिर्गमन अपेक्षाकृत कठिन होता है ।
4.पूर्ण प्रतियोगिता में फर्ने कीमत-निर्धारक न होकर कीमत स्वीकार करने वाली होती हैं।अपूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों कीमत को निर्धारित करती हैं।
5.पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेता एवं विक्रेता की बाजार की दशाओं का पूर्ण ज्ञान होता है अपूर्ण प्रतियोगिता में क्रेता एवं विक्रेता को बाजार की दशाओं का कोई ज्ञान नहीं होता है।
6.पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पत्ति के साधन पूर्ण गतिशील होती हैअपूर्ण प्रतियोगिता में उत्पत्ति के साधनों की गतिशीलता में अनेक कठिनाइयाँ आती हैं।
7.पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की काल्पनिक स्थिति है।अपूर्ण प्रतियोगिता, बाजार की व्यावहारिक स्थिति है।

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