समष्टि अर्थशास्त्र क्या है, अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व, सीमाएँ, क्षेत्र | Samashti Arthashastra 

समष्टि अर्थशास्त्र क्या है? (Samashti Arthashastra)

समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण की उस शाखा को कहते हैं, जो समस्त अर्थव्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था से संबंधित बड़े योगों व औसतों का, (जैसे- कुल राष्ट्रीय उत्पादन एवं राष्ट्रीय आय, कुल विनियोग, कुल रोजगार, कुल उपभोग इत्यादि) उनके व्यवहारों और पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करता है।

समष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषाएं

समष्टि अर्थशास्त्र की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

प्रो. बोल्डिंग के अनुसार, “समष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत मात्राओं का अध्ययन नहीं किया जाता है, अपितु इन मात्राओं के योग का अध्ययन किया जाता है। इसका सम्बन्ध व्यक्तिगत आय से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आय से होता है, , व्यक्तिगत कीमतों से नहीं, बल्कि सामान्य कीमत स्तर से होता है तथा व्यक्तिगत उत्पादन से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय उत्पादन से होता है। ”

चैम्बरलिन के शब्दों में, “समष्टि अर्थशास्त्र कुल सम्बन्धों की व्याख्या करता है।”

प्रो. शुल्ज के अनुसार, “समष्टि अर्थशास्त्र का मुख्य यंत्र राष्ट्रीय आय का अध्ययन करना है।” उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक क्रियाओं एवं घटनाओं का सम्पूर्ण रूप में अध्ययन किया जाता है। कुल रोजगार तथा कुल आय का संबंध समष्टि अर्थशास्त्र का केन्द्रीय विषय है, अतः इसे रोजगार सिद्धान्त एवं आय सिद्धान्त भी कहा जाता है।

समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Macro Economics)

समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र हैं

  1. राष्ट्रीय आय का सिद्धान्त – समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय की धारणा, उसके विभिन्न तत्वों, माप की विधियों तथा सामाजिक लेखांकनों का अध्ययन किया जाता है।
  2. रोजगार का सिद्धान्त – समष्टि अर्थशास्त्र में रोजगार तथा बेरोजगारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें रोजगार निर्धारण के विभिन्न तत्वों, जैसे— प्रभावपूर्ण माँग, कुल पूर्ति, कुल उपभोग, कुल निवेश, कुल बचत, गुणक आदि का अध्ययन किया जाता है।
  3. मुद्रा का सिद्धान्त – रोजगार के स्तर पर मुद्रा की माँग तथा पूर्ति में होने वाले परिवर्तनों का काफी प्रभाव पड़ता है। इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र में मुद्रा के कार्यों तथा उससे सम्बन्धित सिद्धान्तों का अध्ययन किया जाता है। बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं का भी अध्ययन किया जाता है।
  4. सामान्य कीमत स्तर का सिद्धान्त – समष्टि अर्थशास्त्र में सामान्य कीमत स्तर के निर्धारण तथा उसमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में कीमतों में होने वाली सामान्य वृद्धि तथा कीमतों में होने वाली सामान्य कमी से सम्बन्धित समस्याओं का भी अध्ययन किया जाता है।
  5. आर्थिक विकास का सिद्धान्त- समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक विकास में होने वाली वृद्धि से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

समष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएँ (Characteristics of Macro Economics)

समष्टि अर्थशास्त्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं

  1. विस्तृत दृष्टिकोण – समष्टि अर्थशास्त्र की धारणा विस्तृत है, क्योंकि छोटी-छोटी इकाइयों को महत्व नहीं दिया जाता, बल्कि उसकी सहायता से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक समस्याओं का समाधान निकाला जाता है
  2. विस्तृत विश्लेषण – समष्टि अर्थशास्त्र में विस्तृत विश्लेषण को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। जैसे- समष्टि अर्थशास्त्र के विषय क्षेत्र के अन्तर्गत सरकार, राजस्व एवं मौद्रिक नीतियों के सामान्य प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
  3. परस्पर निर्भरता – समष्टि अर्थशास्त्र की मात्राएँ इतनी अधिक होती है तथा ये एक-दूसरे से परस्पर इतने सम्बन्धित होते हैं कि एक में परिवर्तन करने पर अन्य मात्राओं के सन्तुलन स्तर में भी परिवर्तन हो जाता है।
  4. सामूहिक हितों पर जोर- समष्टि अर्थशास्त्र सामूहिक हितों पर सबसे अधिक जोर देता है, इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र को सामूहिक अर्थशास्त्र भी कहा जाता है।
  5. आय एवं रोजगार सिद्धान्त – समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय एवं कुल रोजगार का अध्ययन केन्द्रीय स्थान रखता है। इसलिए इसे आय एवं रोजगार का सिद्धान्त भी कहते हैं।

समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व (Importance of Macro Economics)

समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व निम्न बातों से स्पष्ट होता है-

  1. कार्य प्रणाली को समझने में सहायक – सामान्यतः प्रत्येक देश की कुछ समस्याएँ सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित होती है, जैसे- कुल आय कुल उत्पादन, सम्पूर्ण रोजगार, इत्यादि । समष्टि अर्थशास्त्र – इन समस्याओं का आर्थिक विश्लेषण करके इनके समाधान का हल निकालता है।
  2. आर्थिक उतार- चढ़ाव में आर्थिक उतार-चढ़ाव के कारणों का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है। कुल आय, उत्पादन तथा रोजगार आदि में होने वाले परिवर्तनों के कारण ज्ञात होने पर आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने के उपाय किए जा सकते हैं।
  3. उचित मौद्रिक नीति में – समष्टि अर्थशास्त्र में मौद्रिक व राजकोषीय नीतियों का अध्ययन किया जाता है। चाहे रोजगार का पूर्ण उद्देश्य प्राप्त करना हो या राष्ट्रीय आय में वृद्धि करनी हो। इनके लिए उचित नीतियाँ निश्चित करना आवश्यक होता है।
  4. आर्थिक नियोजन में सहायक- नियोजन के लिए आवश्यक सामग्री समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा ही प्रदत्त होता है तथा व्यापक अर्थशास्त्र के द्वारा नियोजन देश के विभिन्न साधनों की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त कर सकती है।
  5. राष्ट्रीय आय का अध्ययन – किसी भी देश की वास्तविक स्थिति का ज्ञान उसकी राष्ट्रीय आय और सामाजिक लेखांकन के द्वारा होता है। राष्ट्रीय आय के आँकड़े आर्थिक नियोजन के लिए बड़े उपयोगी होते हैं।

समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ (Limitations of Macro Economics)

समष्टि अर्थशास्त्र की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. समूह की संरचना को महत्व न देना- सामान्यतया समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत समूह के आकार-प्रकार का ही अध्ययन किया जाता है न कि समूह की संरचना का समूह की संरचना के लिए समूह की बनावट और उसके समस्त अंगों की सम्पूर्ण जानकारी आवश्यक हैं, अन्यथा इसके अभाव में इस सम्बन्ध में की जाने वाली भविष्यवाणियाँ गलत होगी.
  2. व्यक्तिगत इकाई महत्वहीन – समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत,व्यक्तिगत इकाइयों की तुलना में सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है, लेकिन ऐसा करने से जिन छोटी-छोटी आर्थिक इकाइयों के योग से, सम्पूर्ण सकती है। अर्थव्यवस्था की दीवार खड़ी की गयी है, उनके महत्व एवं अस्तित्व की उपेक्षा कर दी जाती है।
  3. निष्कर्षों का व्यावहारिक न होना— समष्टि अर्थशास्त्र में सम्पूर्ण मात्राओं का अध्ययन किया जाता है, किन्तु के आर्थिक विश्लेषण के आधार पर निर्मित नीतियाँ कभी-कभी गलत परिणाम दे देती है।
  4. समूह की इकाइयाँ, व्यक्तिगत इकाइयों का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती है – समष्टि अर्थशास्त्र की अन्तिम सीमा यह है कि समूह की इकाइयाँ व्यक्तिगत इकाइयों का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, कुल माँग में वृद्धि के कारण कुल उत्पादन बढ़ेगा, लेकिन कुछ फर्म ऐसी भी होंगी, जिनका उत्पादन बढ़ाने पर लागतों में वृद्धि होगी और कुछ की लागतों में कमी होगी ।

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