उपयोगिता की परिभाषा, अर्थ, विशेषताएँ, कुल उपयोगिता एवं सीमांत उपयोगिता – Utility

सामान्य बोलचाल की भाषा में उपयोगिता का अर्थ, किसी वस्तु के उपभोग से मिलने वाले सुख या संतोष से लगाया जाता है। यह लाभ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में हो सकता है। जैसे-सूर्य की रोशनी, प्राकृतिक दृश्य को देखकर प्राप्त आनंद आदि उपयोगिता के अन्तर्गत आते हैं ।

“अर्थशास्त्र में वस्तु की वह शक्ति, गुण या क्षमता जो मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में करती है, उपयोगिता कहलाती है।” यदि रोटी खाने पर हमारी भूख शान्त हो जाती है तो कहा जा सकता है कि टी में भूख मिटाने की क्षमता या गुण है, वही उसकी उपयोगिता है। दूसरे शब्दों में, “आवश्यकता की संतुष्टि की क्षमता वस्तु का तुष्टिगुण है, इसे ही उपयोगिता कहते हैं।”

उपयोगिता की परिभाषा

  1. प्रो. बाघ के अनुसार, “अर्थशास्त्र के लिए उपयोगिता मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि करने की क्षमता है।”
  2. जे. एस. मिल के अनुसार, “अर्थशास्त्र की भाषा में वस्तु अथवा सेवा की मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति अथवा क्षमता को उपयोगिता कहते हैं। “

उपयोगिता की विशेषताएँ (Characteristics of Utility)

उपयोगिता की विशेषताएँ निम्नांकित है-

  1. उपयोगिता व्यक्तिगत होती है— उपयोगिता व्यक्ति से सम्बन्धित होती है। एक वस्तु एक व्यक्ति के लिए उपयोगी हो सकती है, दूसरे के लिए नहीं। सिगरेट पीने वाले के लिए सिगरेट उपयोगी वस्तु है, किन्तु धूम्रपान न करने वाले के लिए नहीं। इसके अतिरिक्त, एक ही वस्तु की उपयोगिता भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकती है।
  2. वास्तविक उपभोग पर निर्भर नहीं – उपयोगिता का अर्थ किसी वस्तु से प्राप्त होने वाली संतुष्टि से है। सामान्यतः उपयोगिता वास्तविक उपभोग पर निर्भर नहीं होती। उपयोगिता किसी वस्तु की संतुष्टि प्रदान करने की क्षमता अर्थात् अनुमानित संतुष्टि कहते हैं।
  3. उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है— उपयोगिता को केवल अनुभव किया जा सकता है। इसका कोई भौतिक रूप नहीं होता है। मनुष्य की मानसिक संरचना पर निर्भर करती है। इसका अर्थ यह है कि उपयोगिता सभी व्यक्तियों और परिस्थितियों में समान नहीं होती।
  4. उपयोगिता आवश्यकता की तीव्रता पर निर्भर करती है- उपयोगिता आवश्यकता की तीव्रता पर निर्भर करती है। इसलिए उपयोगिता को कभी-कभी तीव्र इच्छा भी कहते हैं। भूख लगने पर सूखी रोटी भी उपयोगी होती है, भूख न रहने पर अच्छे खाने की उपयोगिता नहीं रहती हैं।
  5. उपयोगिता समय तथा स्थान के अनुसार परिवर्तनशील होती है- उपयोगिता समय तथा स्थान के साथ परिवर्तनशील रहती है। बर्फ गर्मियों में उपयोगी रहती है, सर्दियों में नहीं। इसी प्रकार, सर्दियों में गर्म कपड़ों का अत्यधिक महत्व रहता है। गर्मी के दिनों में गर्म कपड़ों की कोई उपयोगिता नहीं रहती।
  6. उपयोगिता का लाभदायक होना हमेशा जरूरी नहीं होता- नशा करने वाले व्यक्ति के लिए शराब उपयोगी हो सकती है, परन्तु वह लाभदायक नहीं होती।

क्या उपयोगिता मापनीय है ( Is Utility Measurable)

प्रो. मार्शल ने उपयोगिता को मापनीय बताते हुए गणना वाचक दृष्टि किया। इस दृष्टिकोण के आधार पर हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि एक वस्तु से प्राप्त उपयोगिता दूसरी वस्तु से प्राप्त उपयोगिता से कितने गुना कम या अधिक है। उदाहरण के लिए यदि उपभोक्ता वस्तु X के लिए 10 ₹ देता है तथा वस्तु Y के लिए 20 ₹ देता है, तब इसका अभिप्राय है कि उपभोक्ता के लिए वस्तु की उपयोगिता वस्तु X की तुलना में दुगुनी है।

उपयोगिता के प्रकार (Types of Utility)

उपयोगिता मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-

  1. कुल उपयोगिता (Total Utility)
  2. सीमांत उपयोगिता (Marginal Utility)

कुल उपयोगिता किसे कहते हैं?

कुल उपयोगिता संतुष्टि की वह मात्रा है, जो किसी वस्तु की निश्चित मात्रा के उपभोग से प्राप्त होती हैं। दूसरे शब्दों में कुल उपयोगिता वस्तु की उपभोग की जाने वाली सभी इकाइयों से प्राप्त होने वाली उपयोगिताओं के योग को कहते हैं।

कुल उपयोगिता का उदाहरण – माना कि कोई व्यक्ति पाँच रोटियाँ खाता है, जिनसे उसे क्रमश: 50,40,30 व 20,10 इकाई उपयोगिता अथवा सीमांत उपयोगिता प्राप्त होती है तो उसकी कुल उपयोगिता (50+40+30+20+10) = 150 इकाई के बराबर होगी।

सीमांत उपयोगिता किसे कहते हैं?

सीमांत का शाब्दिक अर्थ, अंतिम इकाई से होता है। अतः सीमांत उपयोगिता उपभोग की जाने वाली वस्तु की अंतिम इकाई से प्राप्त उपयोगिता होती है। बोल्डिंग के अनुसार, “एक अ अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत उपयोगिता कहते हैं।

सीमांत उपयोगिता का उदाहरण- मान लीजिए, उपभोक्ता तीन संतरों का उपभोग करता है, जिनसे उसे क्रमश: 20, 15 तथा 10 इकाई उपयोगिता सीमांत उपयोगिता प्राप्त होती है, तो इस उदाहरण में तीसरा संतरा सीमांत इकाई होगी तथा इनसे प्राप्त 10 इकाई की उपयोगिता कहलायेगी।

सीमांत उपयोगिता के रूप (Froms of Marginal Utility) –

सीमांत उपयोगिता के रूप निम्नलिखित हैं –

  1. धनात्मक उपयोगिता – किसी वस्तु के उपभोग से शून्य सीमांत उपयोगिता प्राप्त होने से पहले जो उपयोगिता हैं- मिलती है, वह धनात्मक सीमांत उपयोगिता कहलाती है।
  2. शून्य उपयोगिता – जब अगली इकाई के उपभोग से न तो कुल उपयोगिता बढ़ती है और न घटती है, अर्थात् वस्तु की इकाई से कोई उपयोगिता नहीं मिलती तो उसे शून्य उपयोगिता कहते हैं। सामान्यतः यह सीमान्त इकाई होती है।
  3. ऋणात्मक उपयोगिता – जब अगली इकाई के उपभोग से कुल उपयोगिता कम हो जाये, तो इस इकाई से ऋणात्मक उपयोगिता प्राप्त होती है।

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