उत्पादन फलन किसे कहते हैं (उत्पादन फलन का अर्थ)
उत्पादन फलन: यह सर्वविदित है कि किसी भी वस्तु का उत्पादन करने के लिए उत्पत्ति के विभिन्न साधनों की आवश्यकता होती है और उस वस्तु के उत्पादन की मात्रा प्रत्यक्ष रूप से इन साधनों की मात्रा पर निर्भर करती है। जिस वस्तु का उत्पादन किया जाता है उसे अर्थशास्त्र में उत्पाद या प्रदा कहते हैं तथा उत्पादन की प्रक्रिया में जिन साधनों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें अदा या पड़त कहते हैं। इस प्रकार उत्पादन के साधनों द्वारा उत्पाद का उत्पादन किया जाता है। उत्पादन फलन उन दोनों के भौतिक सम्बन्ध को स्पष्ट करता है। इस प्रकार एक उत्पादन फलन उत्पत्ति के साधनों एवं उत्पाद के बीच भौतिक संबंध को स्पष्ट करता है। उत्पादन फलन उस अधिकतम दर की ओर संकेत करता है, जो उत्पादन के साधनों के विभिन्न संयोगों के द्वारा एक में समय में तकनीकी ज्ञान के एक निश्चित स्तर तथा प्रबंधकीय योग्यता के एक निश्चित स्तर पर प्राप्त की जा सकती है।
उत्पादन फलन की परिभाषा
सैम्युलसन के शब्दों में, “उत्पादन फलन वह तकनीकी संबंध है जो यह बताता है कि साधनों के प्रत्येक समूह विशेष द्वारा कितना उत्पादन किया जा सकता है। यह संबंध किसी दिये हुए तकनीकी ज्ञान के स्तर के लिए ही व्यक्त किया जाता है।”
इस प्रकार, उत्पादन फलन एक दिए हुए समय में साधनों के सभी संभव संयोगों तथा प्रत्येक संयोग से सम्बंधित अधिकतम उत्पादन के बीच संबंध व्यक्त करता है, जबकि तकनीकी ज्ञान की स्थिति दी हुई हो ।
गणितीय सूत्रानुसार, ( P=f (L, M, N, T ….)
यहाँ P वस्तु की कीमत है तथा L, M, N, T आदि उत्पादन के विभिन्न साधन हैं। यह फलन इस बात को व्यक्त करता है कि वस्तु का उत्पादन (P) उत्पादन के विभिन्न साधनों की (L, M, N, T) की मात्राओं पर निर्भर करता है।
उत्पादन फलन की मान्यताएँ (Assumptions of Production Functions)
उत्पादन फलन निम्न मान्यताओं पर आधारित होता है-
- एक दिये हुए समय में तकनीकी ज्ञान का स्तर यथास्थिर रहता है।
- फर्म समय विशेष में उत्पादन की कुशलतम तकनीक का प्रयोग करेगी, जबकि फर्म के लिए लागत व्यय दिया हुआ हो।
- उत्पादन के विभिन्न साधनों को छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है।
- उत्पादन फलन की एक मान्यता यह है कि उत्पादन इकाई के लिए लागत व्यय दिया हुआ होता है।
- एक उत्पादन लागत केवल एक दिये हुए समय के लिए ही सत्य होती है।
उत्पादन फलन के प्रकार
उत्पादन फलन दो प्रकार के होते हैं-
स्थिर अनुपात वाला उत्पादन फलन (Fixed Proportional Production Function ) –
जब उत्पादन के कुछ साधनों की मात्राओं को स्थिर रखा जाता है। तथा अन्य परिवर्तनशील साधनों की मात्रा में वृद्धि की जाती है, तो उसे स्थिर अनुपात वाला ‘अल्पकालीन उत्पादन फलन’ कहा जाता है। ऐसे उत्पादन फलन को अल्पकालीन उत्पादन फलन भी कहते हैं, क्योंकि अल्पकाल में ही कुछ साधन स्थिर होते हैं, दीर्घकाल में तो सभी साधन परिवर्तनशील हो जाते हैं। सुविधा की दृष्टि से एक साधन (श्रम) को परिवर्तनशील तथा अन्य सभी साधनों को स्थिर मान लिया जाता है। यदि फर्म अन्य साधनों को स्थिर रखते हुए एक साधन (श्रम) की पूर्ति को बढ़ाकर उत्पादन में वृद्धि करती है तो स्थिर तथा परिवर्तनशील साधनों के बीच का अनुपात परिवर्तित हो जाता है परिवर्तनशील अनुपातों । के में ऐसा ही होता है। अतः परिवर्तनशील अनुपातों का नियम उत्पादन फलन की एक अवस्था है जिसकी व्याख्या हम उत्पत्ति ह्रास नियम के रूप में करते हैं।
परिवर्तनशील अनुपात वाला उत्पादन फलन (Variable Proportional Production Function ) –
जब उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं अर्थात् जब किसी भी साधन को स्थिर न रखते हुए सभी साधनों की मात्रा को बढ़ाया जाता है तो उसे ‘परिवर्तनशील अनुपात वाला उत्पादन फलन’ भी कहते हैं। ऐसे उत्पादन फलन को ‘दीर्घ कालीन उत्पादन फलन’ भी कहते हैं। क्योंकि दीर्घकाल में ही उत्पादन के सभी साधनों की आवश् परिवर्तित किया जा सकता है। सभी साधनों के एक साथ परिवर्तित होने पर फर्म या प्लाण्ट का पैमाना ही परिवर्तित हो जाता है। इसी कारण उत्पादन या प्रतिफल में होने वाले परिवर्तन के लिए ‘पैमाने का प्रतिफला का किया जाता है।
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