अकबर की राजपूत नीति के कारण व परिणाम
अकबर की राजपूत नीति : अकबर मुगल साम्राज्य का सबसे महान शासक था। वह सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांध कर शासन करना चाहता था । किन्तु इस राजनैतिक एकता की स्थापना राजपूत शासकों को मुगल आधिपत्य में लाए बिना संभव नहीं थी । इसलिए उसने उत्तर भारत के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति अपनाने का निर्णय लिया ताकि उत्तर भारत की इस शक्ति का प्रयोग वह मुगल साम्राज्य के विकास और विस्तार हेतु कर सकें। इस मैत्रीपूर्ण नीति अपनाने के प्रमुख कारण थे-
मुगल साम्राज्य के विस्तार हेतु —
वह मुगल साम्राज्य को भारत के सर्वाधिक विस्तृत साम्राज्य के रूप में बदल देना चाहता था। इसके लिए राजपूतों के सहयोग की आवश्यकता थी । राजपूत जाति वीरता, युद्धप्रियता तथा वचनबद्धता और स्वामिभक्ति के लिए प्रसिद्ध थे । अतः अकबर ने राजपूतों को अपना मित्र बनाकर भारत में अपने वंश के शासनाधिकार को दृढ़ता पूर्वक स्थापित कर दिया ।
राजपूताने का भौगोलिक तथा सामरिक महत्व-
राजपूताना मुगल शक्ति के महत्वपूर्ण केन्द्रों के अत्यधिक समीप होने के कारण मुगल साम्राज्य को सर्वाधिक लाभ या हानि पहुँचाने की स्थिति में था । अतः अकबर ने उन्हें मित्र बनाकर राजपूतों से लाभ प्राप्त किया तथा अपनी सीमाएँ सुरक्षित कर ली साथ ही साम्राज्य का विस्तार कर लिया और उस विस्तृत साम्राज्य के लिये राजपूत जैसे स्वामिभक्त सैनिक तथा सामन्त प्राप्त किये । तत्पश्चात् राजपूताने की तरफ से पूर्णतः निश्चित उसने अपना संपूर्ण ध्यान भारत के अन्य भागों की विजय की तरफ लगा दिया।
अमीरों के व्यवहार पर अंकुश –
मुगल साम्राज्य में अमीरों की शक्ति दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी वे अपने हित साधनों के चक्कर में सम्राट और साम्राज्य, तक की परवाह नहीं करते थे। वे स्वार्थी तथा बेईमान हो चुके थे। राजा के विरुद्ध विद्रोह तथा षडयन्त्रों में मशगूल रहते थे, उनकी शक्ति पर नियंत्रण हेतु वफादार शक्तिशाली बहादुर सामन्तों की आवश्यकता थी अतः उसने राजपूतों से मित्रता करना श्रेयकर समझा ।
राजपूत मुगल साम्राज्य के संरक्षक बन गए-
पहले राजपूत मुसलमान शासकों तथा मुसलमानों के घोर थे । अकबर की उदारता की नीति से वे मुगल साम्राज्य के संरक्षक बन गए ।
प्रशासन में सुधार –
प्रशासन के कामों में हिन्दू बहुत योग्य थे अकबर ने उदार नीति अपनाकर हिन्दुओं, विशेषकर राजपूतों को उच्च पदों पर नियुक्त किया और उनकी योग्यता का लाभ उठाकर अनेक प्रशासनिक सुधार किए ।
साम्राज्य विस्तार –
राजपूत वीर योद्धा थे, अकबर ने उनकी सहायता से अपने साम्राज्य का विस्तार किया ।
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