अर्थशास्त्र के अध्ययन का महत्व
आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान होना आवश्यक है। यही कारण है कि आज अर्थशास्त्र का अध्ययन महत्वपूर्ण हो गया है। अर्थशास्त्र का अध्ययन सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दोनों की उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है।
(अ) सैद्धांतिक महत्व —
सैद्धांतिक महत्व की प्रमुख बातें निम्न हैं-
1. ज्ञान में वृद्धि –
अर्थशास्त्र के अध्ययन से अनेक आर्थिक घटनाओं की जानकारी होती है। जैसे- देश में धन – का असमान वितरण क्यों है ? तथा उसके क्या परिणाम होते हैं ? देश की आर्थिक विकास का स्तर ऊँचा अथवा नीचा क्यों है ? समाज किसी वर्ग विशेष में विभक्त क्यों है ? और वर्ग संघर्ष के क्या कारण है ? इस प्रकार अर्थशास्त्र का अध्ययन मानसिक व्यायाम का कार्य करता है ।
2. तर्क तथा विश्लेषणकारी बुद्धि का विकास –
अर्थशास्त्र में विभिन्न नियमों का निर्माण किया जाता है, जिनके आधार पर हम मनुष्य के आचरण को समझने का प्रयत्न करते हैं । अर्थशास्त्र की अध्ययन प्रणाली जैसे- निगमन रीति द्वारा हमें मनुष्य और सम्पत्ति का यथार्थ ज्ञान प्राप्त होता है तथा आगम रीति से तथ्यों का निरीक्षण और विश्लेषण कर उनका साधारणीकरण किया जाता है। इससे उसकी विश्लेषणकारी शक्ति का पर्याप्त विकास होता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क सम्बन्धी योग्यता तथा निरीक्षण शक्ति का विकास होता है ।
अर्थशास्त्र के व्यावहारिक लाभ निम्न है-
1. उपभोक्ताओं को लाभ –
उपभोक्ता का लक्ष्य अपनी सीमित आय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना है जो वह अर्थशास्त्र के नियमों से प्राप्त कर सकता है । अर्थशास्त्र का ‘सम – सीमान्त उपयोगिता नियम’ उसे यह बताता है कि उसे अपनी सीमित आय का विभिन्न आवश्यकताओं पर इस प्रकार व्यय करना चाहिए कि प्रत्येक वस्तु पर व्यय की गयी आय की सीमान्त उपयोगिता समान हो जिससे उसे अपने व्यय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो सके। इसी प्रकार गृह-स्वामियों को पारिवारिक बजट रखने का ज्ञान हो जाता है जिससे मनुष्य हानिकार वस्तुओं जैसे- शराब, आदि पर व्यय घटाकर केवल आवश्यक वस्तुओं पर उसे बढ़ा सकता है।
2. व्यवसायियों और उत्पादकों को लाभ-
व्यापारियों व व्यवसायियों को बाजार भाव का जानना, उत्पादन की प्रकृति को समझना तथा वस्तुओं की माँग को समझना आवश्यक है । अर्थशास्त्र के द्वारा ही वे अपने व्यवसाय का प्रबन्ध कर सकते हैं। आधुनिक उत्पादन प्रणाली जटिल है। उद्योगपति अथवा उत्पादकों के सामने हमेशा बड़ी-बड़ी समस्याएँ उत्पन्न होती है। अर्थशास्त्र यह बताता है कि उत्पत्ति के कौन-से साधन है तथ किन उपायों से उत्पादन किया जाता है और इस क्षेत्र में कौन-सी मुख्य कठिनाइयाँ हैं। उन्हें किस प्रकार दूर किया जा सकता है।
3. किसानों को लाभ –
अर्थशास्त्र के अध्ययन से किसानों को देश-विदेश की कृषि कला की जानकारी होती है । वे कृषि विपणन का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें इस बात की भी जानकारी हो जाती है कि कृषि के लिए खाद, पूँजी, उपकरण व बीज कहाँ से प्राप्त किया जा सकता है। ये सब बातें कृषि उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होती है।
4. श्रमिक वर्ग को लाभ-
अर्थशास्त्र का अध्ययन श्रमिकों को उनके शोषण तथा उसको दूर करने के उपायों के विषय में जागरूक बनाता है। श्रमिकों को अर्थशास्त्र के ज्ञान से यह सिद्ध कर पाना सरल हो जाता है कि मालिकों द्वारा उन्हें दी जाने वाली मजदूरी उनकी सीमान्त उत्पादकता से कम होती है ।
5. राजनीतिज्ञों को लाभ-
अर्थशास्त्र अध्ययन राजनीतिज्ञ को देश की आर्थिक समस्याओं की जानकारी प्रदान करता है। इस जानकारी के आधार पर वे अपने क्षेत्र की समस्या को हल करने का प्रयत्न करते हैं। एक वित्तमंत्री के लिए तो अर्थशास्त्र का धर्म ग्रंथ से कम महत्व नहीं है।
6. समाज-सुधारकों को लाभ –
एक समाज सुधारक के लिए भी अर्थशास्त्र का ज्ञान बहुत आवश्यक है । दरिद्रता, बेकारी अदि समस्याओं को बिना अर्थशास्त्र के समुचित ज्ञान के सुलझाना बहुत कठिन है।
7. समाज को लाभ –
अर्थशास्त्र समाज को हानि पहुँचाने वाली व्यक्तिगत समस्याओं का विवेचन करता है तथा उन कार्यों को रोकने के लिए उपाय बताता है, जो समाज के लिए हानिकारक हैं ।
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