अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्व क्या है? – EdusRadio

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्व क्या है?

सांख्यिकी का महत्व : प्राचीन काल में सांख्यिकी का उपयोग शासन व्यवस्था तक ही सीमित था। लेकिन आज आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक तथा प्राकृतिक सभी विज्ञानों की तर्क- पूर्ण विवेचना में सांख्यिकी का महत्वपूर्ण स्थान बन गया है। वास्तव में सांख्यिकी आज प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करती है और उसके जीवन के अनेक विन्दुओं को स्पर्श करती है। क्राक्सटन एवं काउंडेन के शब्दों में, ” आज हमारे प्रयास का शायद कोई ऐसा पहलू हो, जहाँ सांख्यिकीय रीतियों के कुछ उपयोगिता न हो।” सांख्यिकीय के महत्व को निम्न बिन्दुओं के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है –

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्व निम्नलिखित है –

  1. शासन प्रबंध में महत्व — राज्य के शासन प्रबंध की दृष्टि से सांख्यिकी का इतना अधिक महत्व है कि इसका प्रारंभ ही राजकीय विज्ञान के रूप में हुआ। सरकार अपनी उचित सैनिक तथा राजकोषीय नीति के लिए जनसंख्या, अपराध, आय, सम्पत्ति आदि के संबंध में आँकड़े एकत्रित करती है। वर्तमान समय में कल्याणकारी राज्य की विचारधारा के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। आज देश की सरकार को विभिन्न दृष्टिकोणों से आँकड़े एकत्रित करने पड़ते हैं। इसलिए ” सांख्यिकी को शासन प्रबंध का नेत्र कहा जाता है।”
  2. आर्थिक नियोजन में महत्व – आज के नियोजन युग में सांख्यिकी का आर्थिक नियोजन के क्षेत्र में अत्यन्त महत्व पाया जाता है। वर्तमान समय में विश्व के प्रत्येक देश अपने आर्थिक विकास की गति तीव्र करने में व्यस्त हैं। इसके लिए आँकड़ों तथा सांख्यिकीय रीतियों का उपयोग किया जाना नितांत आवश्यक होता है।” वास्तव में नियोजन की कल्पना आँकड़ों के आधार पर ही की जाती है तथा नियोजन के परिणामों की विवेचना भी सांख्यिकीय रीतियों द्वारा की जाती है। जैसा कि टिप्मेंट ने लिखा है कि ” नियोजन आजकल का व्यवस्थित क्रम है और समंको के बिना नियोजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।” अतएव किसी भी आर्थिक नियोजन के निर्धारण तथा उसे सफलतापूर्वक चलाने के लिए समंकों तथा सांख्यिकीय रीतियों का प्रयोग अत्यन्त आवश्यक होता है।
  3. व्यापार तथा उद्योग में महत्व – सांख्यिकी व्यापार तथा उद्योग की जीवन शक्ति है और इसकी सफलता सांख्यिकी पर निर्भर होती है। व्यापार तथा व्यवसाय में अनुमानों तथा संभावनाओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है। एक व्यापारी इन्हीं अनुमानों पर अपनी नीति और लक्ष्य निर्धारित करता है। इतना ही नहीं व्यापार की सफलता के लिए उत्पादन की जाने वाली वस्तुओं की माँग का अनुमान लगाया जाना आवश्यक होता है। प्रो. बॉडिगटन के अनुसार, एक सफल व्यवसायी वह है जिसका अनुमान शुद्धता के निकट हो।” इसलिए कहा जाता है कि यह तभी सम्भव है जब उचित आँकड़े उपलब्ध हों उन पर उचित सांख्यिकीय रीतियों का उपयोग किया जाये।
  4. वाणिज्य के क्षेत्र में महत्व – वाणिज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भी सांख्यिकीय की पर्याप्त उपयोगिता है। बैंक को अपने यहाँ एक सांख्यिकी विभाग रखना पड़ता है, जो व्यापार चक्रों, मुद्रा की माँग में होने वाले परिवर्तनों, मुद्रा बाजार की स्थिति तथा विनियोग की सुविधाओं का विश्लेषण करता रहता है। इसके आधार पर ही नीति का निर्धारण किया जाता है। बीमा का प्रादुर्भाव सांख्यिकी के आधार पर हुआ है। विभिन्न आयु वाले व्यक्तिओं से ली जाने वाली प्रीमियम की दर का निर्धारण मृत्यु दर के आधार पर किया जाता है। इसी प्रकार यातायात कम्पनियाँ आँकड़ों के आधार पर ही यातायात की सुविधाएँ, भाड़े की दर यात्रियों की सुविधाएँ निर्धारित करती है।
  5. सामाजिक समस्याओं के क्षेत्र में महत्व – सामाजिक समस्याओं को मापने तथा उनसे समस्याओं का मूल्यांकन करने की दृष्टि से सांख्यिकी का विशेष महत्व है। इसके माध्यम से सामाजिक बुराइयों जैसे बाल विवाह, बेरोजगारी, मद्यपन, वेश्यावृत्ति भुखमरी समस्याओं का अध्ययन करके उपचार प्रस्तुत किया जा सकता है। देश में निरक्षरता की दर का अनुमान भी इन सांख्यिकी रीतियों से लगाया जा सकता है। प्रो. वॉलिस एवं रॉबर्ट्स ने लिखा है कि सांख्यिकी एक ऐसा अस्त्र है जो प्रयोग सिद्ध अनुसंधान के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर आक्रमण करने में प्रयोग किया जा सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि सांख्यिकीय आज जीवन के प्रत्येक बिन्दुओं को स्पर्श करती है ।
  6. राजनीतिज्ञों के लिए महत्व – राजनीतिज्ञों की दृष्टि से भी सांख्यिकी का एक विशेष महत्व है। राजनीतिज्ञों का एक सामाजिक दायित्व होता है तथा देश की समस्याओं का अध्ययन करना तथा उन्हें दूर करना भी उनका एक विशेष दायित्व होता है। आँकड़ों की सहायता से देश में पायी जाने वाली समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। तत्पश्चात् अपने विचार संसद या देश के समक्ष रखते हैं इस प्रकार देश के सभी लोगों का ध्यान इन समस्याओं की ओर जाता है। इस प्रकार देश के सभी लोगों का ध्यान इन समस्याओं की ओर जाता है। इस प्रकार सरकार भी अपना दायित्व निर्वाह करने में भली- भाँति सफल होती हैं।
  7. अन्य विज्ञानों के अध्ययन का आधार – वैज्ञानिक विधि के रूप में सांख्यिकी की सार्वभौमिक उपयोगिता पायी जाती है। इसका उपयोग सभी आर्थिक, सामाजिक तथा प्राकृतिक विज्ञानों के अध्ययन में होता है। अर्थशास्त्र में इसके उपयोग की चर्चा करते हुए डॉ. बाउले ने कहा है कि ” अर्थशास्त्र का कोई भी विद्यार्थी पूर्णता का दावा नहीं कर सकता है, जब तक कि वह सांख्यिकी रीतियों में पूर्ण दक्ष नहीं हो जाता है।” गणित तथा सांख्यिकी में इतना घनिष्ठ संबंध है कि सांख्यिकी को व्यावहारिक गणित की शाखा कहा जाता है। लेखांकन में लागत तथा लाभदायकता की गणना करने में सांख्यिकी रीतियों का उपयोग किया जाता है। इसी प्रकार नक्षत्र विज्ञान, रसायन शास्त्र, भौतिक विज्ञान, जीवन विज्ञान, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान तथा शिक्षाशास्त्र आदि में सांख्यिकीय रीतियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि वर्तमान समय में वैज्ञानिक रीति के रूप में सांख्यिकीय की सार्वभौमिक उपयोगिता पायी जाती है। दूसरे शब्दों में, आज के युग में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें सांख्यिकी की उपयोगिता न हों। डॉ. या-लुन चाऊ के अनुसार, साख्यिकी का प्रयोग इतना विस्तृत हो गया है कि आज वह मानवीय क्रियाओं के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करता है।

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